10 दिसंबर 1977 को बैतूल में जन्मे निलय विनोद डागा ने एक राजनेता, किसान और उद्योगपति के
रूप में अपनी पहचान बनाई है।
बैतूल शहर में पले-बढ़े निलय को सेवा और नेतृत्व का जुनून अपने दिवंगत पिता, बैतूल के पूर्व
विधायक और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जानेमाने व्यक्तित्व श्री विनोद कुमार डागा से
विरासत में मिला। अपने पिताजी के नक्शेकदम पर चलते हुए, निलय ने शिक्षा में उत्कृष्टता
हासिल करते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका में ओक्लाहोमा स्टेट यूनिवर्सिटी से वाणिज्य में
स्नातकोत्तर डिग्री और कृषि व्यवसाय में मास्टर डिग्री प्राप्त की।
अपना राजनीतिक सफ़र की शुरुआत करते हुए, निलय 2007 में भारतीय युवा कांग्रेस में शामिल हुए
और 2013 तक पूरी लगन से सेवा करते रहे। अपनी प्रतिबद्धता और कड़ी मेहनत से वह 2013 में
राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने, और 2017 से एक एमपी पीसीसी प्रतिनिधि के रूप में सक्रियता
से कार्य कर रहे हैं। उनके राजनीतिक करियर में बैतूल जिले में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
पार्टी को बढ़ावा देने और किसानों के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उनके प्रयास
विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। उन्होंने विभिन्न सहकारी क्षेत्रों में काम करने, खेलों को
बढ़ावा देने और बैतूल के समग्र विकास में समर्पित रूप से योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका
निभाई है।
अपने राजनीतिक करियर के अलावा, निलय एक सफल किसान और उद्योगपति हैं, जो महत्वपूर्ण कंपनियों
में निदेशक पद पर हैं। ये प्रतिष्ठान न केवल क्षेत्र के आर्थिक विकास में योगदान देते हैं
बल्कि सैकड़ों श्रमिकों को रोजगार और हजारों किसानों को सहायता भी प्रदान करते हैं।
निलय पूरी तत्परता से सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में शामिल हैं और साथ ही खेल को
बढ़ावा देने, किसानों के मुद्दों को संबोधित करने व सहकारी क्षेत्रों में योगदान देने के
लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। बैतूल के विकास के प्रति उनका समर्पण इन उद्देश्यों के प्रति
उनकी अटूट प्रतिबद्धता के माध्यम से साफ़ स्पष्ट होता है।
निलय विनोद डागा अपने पिता स्व. श्री विनोद कुमार डागा, जिन्होंने बैतूल और भारतीय
राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, के पदचिन्हों पर
चलते हुए अपनी विरासत के प्रतीक के रूप में उभर कर सामने आये हैं। उनके पिता के म.प्र.
कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष व विभिन्न कांग्रेस समितियों के सदस्य सहित अन्य पदों पर
समृद्ध अनुभव और सेवा ने निसंदेह सार्वजनिक सेवा में निलय के सफ़र को न सिर्फ प्रभावित किया
बल्कि एक बेहतर आकार भी दिया है।